भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को एक बार फिर ब्रिटेन की अदालत से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने उनकी ताज़ा जमानत याचिका खारिज कर दी है। यह उनकी दसवीं कोशिश थी जेल से बाहर आने की, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
नीरव मोदी पर हजारों करोड़ के बैंक घोटाले का आरोप है, जो भारतीय बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े घोटालों में से एक माना जाता है। उन्होंने अपने प्रभाव और धोखाधड़ी के जरिए एक सरकारी बैंक से भारी रकम की हेराफेरी की थी। इस घोटाले के सामने आने के बाद वे भारत छोड़कर भाग गए थे और पिछले कुछ वर्षों से ब्रिटेन की जेल में बंद हैं।
जमानत याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि नीरव मोदी एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उनके पास विदेश भागने या गवाहों को प्रभावित करने की पूरी क्षमता है। उनके वकीलों ने कोर्ट में दलील दी कि लंबे समय से जेल में रहने और खराब स्वास्थ्य के चलते उन्हें राहत दी जानी चाहिए, लेकिन अदालत ने इस आधार को स्वीकार नहीं किया।
भारत सरकार लगातार नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की कोशिशों में लगी हुई है। जांच एजेंसियों ने कई बार ब्रिटेन जाकर अदालत में सबूत और तर्क पेश किए हैं। अदालत पहले ही उनके प्रत्यर्पण की अनुमति दे चुकी है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया की जटिलताओं के कारण उन्हें भारत लाने में समय लग रहा है।
नीरव मोदी की यह लगातार असफलता भारत के न्यायिक प्रयासों के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है, और यह दिखाता है कि कानून से बचना आसान नहीं होता।
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