विकास भवन में सरकारी संपत्ति को नुकसान और पुलिस पर हमले के मामले में अब बर्खास्त कर्मियों को पुलिस का समन

सरकारी नौकरी से हटाए गए शिक्षकों और अशिक्षकीय कर्मियों को अब पुलिस ने तलब किया है। 21 मई को सुबह 11 बजे उन्हें विधाननगर उत्तर थाने में पेश होने का निर्देश दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, इन बर्खास्त कर्मियों के खिलाफ सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, पुलिसकर्मियों पर हमला करने समेत कई आरोपों के आधार पर मामला दर्ज किया गया है। इसी के चलते यह समन जारी किया गया है।

गुरुवार को विकास भवन के सामने हालात काफी तनावपूर्ण हो गए थे। बर्खास्त कर्मियों ने कार्यालय परिसर को घेरकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। विकास भवन के कर्मचारियों को रोककर रखने और धमकाने के भी आरोप लगे हैं। इसके जवाब में पुलिस ने ‘न्यूनतम बल प्रयोग’ किया। आंदोलनकारियों के ‘उग्र प्रदर्शन’ के चलते अब उन्हें थाने में हाजिर होने के लिए कहा गया है।

SSC 2016 पैनल रद्द होने के बाद करीब 26,000 शिक्षक और अशिक्षकीय कर्मचारी अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। “मिरर इमेज” प्रकाशित करने और कुछ अन्य मांगों को लेकर गुरुवार का प्रदर्शन एक नए रूप में सामने आया। दो से ढाई हजार लोग इकट्ठा हुए। विकास भवन के गेट को तोड़कर धरने पर बैठ गए। शाम को उन्होंने घोषणा की कि वे विकास भवन को घेरेंगे। उस समय कई सरकारी कर्मचारी भवन में फंसे हुए थे। जब पुलिस उन्हें बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी, तो शिक्षकों ने बाधा डाली। इसके बाद ही स्थिति बिगड़ने लगी और पुलिस को बल प्रयोग करते देखा गया।

राज्य पुलिस के एडीजी (दक्षिण बंगाल) सुप्रतीम सरकार ने उस दिन एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, “पुलिस ने 7 घंटे तक समझाने की कोशिश की। विकास भवन में 55 विभाग और 500-600 कर्मचारी काम करते हैं। एक गर्भवती महिला को अस्वस्थ महसूस हुआ। किसी की मां बीमार थीं। शाम के बाद वे बाहर निकलना चाहते थे, लेकिन आंदोलनकारियों ने उन्हें रोका। जब उन्हें बाहर निकालने की कोशिश की गई, तो बाधा आई, और न्यूनतम बल प्रयोग किया गया। सब कुछ प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया।”

प्रदर्शन के दौरान आंदोलनकारियों द्वारा सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और पुलिस पर हमला करने के आरोप हैं। इन्हीं आरोपों के तहत उन्हें अब पुलिस ने समन भेजा है।

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