नौकरी रद्द मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका राज्य और एसएससी की ओर से

नियुक्ति घोटाले के मामले में, 3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने SSC की 2016 की पूरी पैनल को रद्द कर दिया था, जिससे एक बड़ी संख्या में शिक्षक और शिक्षाकर्मी अपनी नौकरियों से हाथ धो बैठे। अब उस फैसले पर पुनर्विचार की याचिका दायर की गई है।

सूत्रों के मुताबिक, इस मामले की सुनवाई 8 मई, गुरुवार को हो सकती है। सबसे पहले नौकरी रद्द करने का फैसला कोलकाता हाई कोर्ट ने दिया था। यह फैसला 22 अप्रैल 2024 को लोकसभा चुनाव के दौरान आया था। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट गया और शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।

फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि योग्य और अयोग्य उम्मीदवारों को अलग कर पाना संभव नहीं हुआ, इसलिए सभी की नियुक्तियां रद्द कर दी गईं। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने योग्य उम्मीदवारों को पुराने कार्यस्थल पर लौटने की अपील करने का अवसर दिया।

इसके बाद राज्य सरकार ने इस फैसले की आंशिक पुनर्विचार की मांग की और कहा कि इससे शिक्षा व्यवस्था चरमरा जाएगी। इस याचिका के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि योग्य शिक्षकों को 31 दिसंबर 2025 तक नौकरी पर बनाए रखा जाए, साथ ही नई नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का भी आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि अगर नई नियुक्ति समय पर नहीं हुई, तो कोर्ट अपना दिया गया निर्देश वापस भी ले सकती है।

अब राज्य सरकार और SSC ने 3 अप्रैल के पूरे फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नौकरी गंवाने वाले शिक्षक और शिक्षाकर्मियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। वे योग्य उम्मीदवारों की सूची प्रकाशित करने की मांग को लेकर विकास भवन के सामने लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे थे।

हालांकि इस महीने राज्य सरकार के आश्वासन के बाद जब उन्हें वेतन मिला, तो अस्थायी रूप से उनका गुस्सा शांत हुआ। सुप्रीम कोर्ट का निर्देश न होने के बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की कि ग्रुप-C और ग्रुप-D के कर्मचारियों को क्रमशः 25 हजार और 20 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार ग्रुप-C और ग्रुप-D की भर्तियों में हुआ था। इसलिए नौवीं-दसवीं और ग्यारहवीं-बारहवीं के शिक्षकों को स्कूल लौटने की अनुमति दी गई, लेकिन शिक्षाकर्मियों पर यह नियम लागू नहीं होगा। यह बात चीफ जस्टिस की बेंच ने स्पष्ट की थी।

हालांकि मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समीक्षा के लिए याचिका दायर करेगी और जब तक मामला समाप्त नहीं होता, तब तक ग्रुप-C और ग्रुप-D को भत्ता दिया जाएगा।

इसी कड़ी में अब 3 अप्रैल के फैसले की संपूर्ण पुनर्विचार याचिका राज्य सरकार और SSC ने दाखिल की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *